अहमदाबाद प्लेन दुर्घटना पर सुलगते सवाल

अहमदाबाद बोइंग 787 ड्रीमलाइनर एक अतिसुरक्षित प्लेन माना जाता है जब प्लेन लंबी दूरी की उड़ान भरती है उसके पहले सुरक्षा जांच की जिम्मेदारी aviation कंपनी की होती है दुःखद बात यह है कि भारत में जिस तुर्की की कंपनी को कोंग्रेस के शासन काल में 25 वर्षों के लिए यह कॉन्ट्रैक्ट दिया गया वह कंपनी भारत के खिलाफ पाकिस्तान की मददगार तुर्की की है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने उसका कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया था पर अफसोस इस बात का है हमारी सुप्रीमकोर्ट हर प्रशासनिक मामलों में दखलंदाजी करती है वैसे ही देश की सुरक्षा को ताकपर रखकर इस कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट बहाल कर दिया कुछ आतंवादियों ने भारत को धमकी दी थी कि ऑपरेशन सिंदूर का परिणाम भोगने भारत तैयार रहें तो शक की सुई इस तुर्की कंपनी की तरफ भी इशारा तो करती ही है।

बोइंग ड्रीमलाइनर जैसे प्लेन जो सर्वाधिक सुरक्षित माना जाता है के दोनों इंजन अचानक कैसे बंद पड़ गए ? क्या सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनी CELIBI AVIATION की संलिप्तता तो नहीं है? क्या पाकिस्तानी उग्रवादियों की मिली भगत तो नहीं है? ऐसे बहुत से सवाल उभरते है जिनका जवाब तो मिलना ही चाहिए ।

जब देश के प्रधानमंत्री 2 दिन के बाद ही G20 की बैठक में शामिल होने जाने वाले हैं तब यह घटना कुछ तो काला है इंगत करता है ।साथ ही अब समय आगया है देश की सुरक्षा के मामलों पर सुप्रीमकोर्ट पर लगाम कसी जानी चाहिए कभी वह देश विरोधी विदेशी कंपनियों के पक्ष में खड़ी नजर आती है तो कभी भारत विरोधियों के पक्ष में फैसले देती है।

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