भारत में सेहत को खाद्य प्रणाली से 79 लाख करोड रुपए का नुकसान

पर्यावरण और मानव को बदलती हुई वैश्विक खाद्य प्रणाली का हानिकारक असर हो रहा है। लेकिन सरकार के द्वारा इस लागत को अनदेखा किया जा रहा है। खाद्य प्रणाली जिस तरह दुनिया भर के श्रमिकों और मानव की सेहत को प्रभावित कर रही है यदि उसकी छिपी या सच्ची लागत को देखा जाए तो यह करीब 12 लाख करोड डॉलर होती है। यह लागत 157 देश को होने वाले नुकसान के आधार पर किया जाता है। यह रिपोर्ट सभी देशों की खाद्य प्रणाली की लागत के अनुमान से लगाया गया है। भारत में खाद्य प्रणाली की छिपी या सच्ची लागत 110 लाख करोड रुपए है। भारत में एक तरफ जहां प्रॉसैंड खाद्य फ्रूट और एडी डिप्स का उपभोग बढ़ रहा है वही साबूत पौधों से आने वाले फल अनाजों तथा लाभकारी एडी डिप्स का उपभोग कम हो रहा है। यही कारण है कि भारत में गैर संक्रामक रोग जैसे दिल और डायबिटीज की बीमारी बढ़ गई है। भारत में खाद्य प्रणाली से होने वाले रोगों से 79 लाख करोड़ का नुकसान हो रहा है ।यह क्षति पर्यावरण और सामाजिक असमानता से होने वाले नुकसानों से ज्यादा है।सेहत और पर्यावरण को नुकसान से बचाने के लिए भारत की परंपरागत खाद्य प्रणाली कारगर साबित होती है ।

रिपोर्ट के अनुसार :

परंपरागत कृषि खाद्य प्रणाली में चीनी नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का भारत में अत्यधिक सेवन से बचने के कारण पर्यावरण और स्वास्थ्य आदि के खर्चों में छुपी लागत में से लगभग दो तिहाई की बचत हो गई है।

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