धरती के चप्पे चप्पे पर होगी निसार की नजर

दोहरी राडार प्रणाली वाले विश्व के पहले और सबसे महंगे उपग्रह निसार ( नासा इसरो सिंथेटिक राडार) के सफल प्रक्षेपण के साथ ही दुनिया की दो अंतरिक्ष महाशक्तिऒ इसरो और नासा के बीच संयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण क़े एक नए युग का प्रारंभ हुआ! निसार उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अंतरिक्ष क्षेत्र में परस्पर सहयोग की एक मजबूत नीव रखी ! अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कई महीनो में काफी लाभदायक है इसरो नासा संबंधों की शुरुआत चंद्रयान-1 मिशन से हुई थी चंद्रयान-1 मिशन में हम नासा के दो पोलैंड ले गए थे जिसके परिणाम बेहद सफल रहे ! भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो )के रॉकेट जीएसएलवी एफ- 16 ने श्रीहरिकोटा से बुधवार शाम 5:40 पर उड़ान भरी और 18 मिनट बाद निसार को पृथ्वी की 747 किलोमीटर वाली सूर्य समकालीक कक्षा में स्थापित कर दिया! कक्षा में स्थापित होते ही उपग्रह की सोलर पैनल तैनात हो गए और इसरो की जमीनी केन्दो से संपर्क स्थापित हो गए ! इस उपग्रह के लिए नासा एल- बैंड सिंथेटिक अपचर रडार तैयार किया! वहीं इसरो ने एक सिंथेटिक अपचर राडार र तैयार करने के साथ ही तउपग्रह बस और जीएसएलवी रॉकेट उपलब्ध कराया!

इस काम आएगा >> 1 हर 12 दिन में पूरी धरती को स्कैन करते हुए सुसंगत आंकड़े उपलब्ध कराएगा! ऐसा पहले कभी नहीं हुआ! 2 धरती पर होने वाले सूक्ष्म बदलाव ग्लेशियरों के पिघलने चट्टानों क़े खिसकने भू संकलन ज्वालामुखी और भूकंप जैसे खतरों से आगाह करेगा! 3 घने बादल कोहरे,दिन,रात या वनों से आच्छादित जंगल के भीतर देख सकते की क्षमता के कारण आपदाओं की त्वरित जानकारी मिल सकेगी

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