17 अप्रैल को राम नवमी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

वर्ल्ड स्वराज न्यूज़। इस वर्ष राम नवमी पर प्रभु श्रीराम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय 17 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। हिंदू धर्म में राम नवमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल प पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ है। राम नवमी का पर्व चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। राम नवमी के साथ ही चैत्र नवरात्रि का समापन हो जाता है। राम नवमी पर भगवान राम की विशेष पूजा पूजा और आराधना की जाती है। इस दिन भगवान राम संग माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं राम नवमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी। नवमी तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर राम नवमी का त्योहार 17 अप्रैल 2024 को मनाया जा जाएगा।

राम नवमी शुभ मुहूर्त

इस वर्ष राम नवमी पर प्रभु श्रीराम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय 17 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस तरह से राम नवमी पर पूजा के लिए कुल 2 घंटे और 35 मिनट का समय मिलेगा। राम नवमी मध्याह का समय- 12.20 विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से लेकर 03 बजकर 24 मिनट तक। गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक।

राम नवमी पूजा विधि

राम नवमी का त्योहार हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार होता है, जिसे देश-दुनिया में बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। राम नवमी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पवित्र होकर और साफ-सुथरे कपड़े धारण करें। फिर इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें। हाथ में अक्षत लेकर व्रत करने का संपल्प लें फिर भगवान राम की पूजा-अर्चना पूजन सामग्री के साथ आरंभ करें। सबसे पहले भगवान राम, माता सीता, भाई लक्ष्मण और भगवान हनुमान की प्रतिमा को स्थापित करें और सबको रोली, चंदन, धूप, फूल, माला, इत्र आदि से षोडशोपचार पूजन करें। फिर इसके बाद भगवान राम की पूजा में कई तरह फल, मिष्ठान, फूल और गंगाजल का इस्तेमाल करें। भगवान राम की पूजा में तुलसी के पत्तों और कमल के फूल का प्रयोग अवश्य करें। इसके बाद अपनी इच्छा के अनुसार रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का का पाठ करें। अंत में भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की आरती करते हुए पूजा संपन्न करें। पूजा के बाद सभी प्रसाद वितरित करें।

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