हरदा। जिले में इन दिनों निजी शैक्षणिक संस्थान का व्यवसायीकरण होता हुआ देखा जा सकता है। जिसमें शिक्षण की आड़ में विभिन्न तरीकों से
अधाधुंध कमाई की जा रही है। निजी स्कूल भवन में सिर्फ छात्रों को शिक्षा देना मुख्य उद्देश्य है परंतु । आप देख ही रहे है कैसे शिक्षा का व्यवसाई करण हो रहा है। एक ही क्लास की अलग अलग स्कूलों की अलग अलग पुस्तके लगाना हो ।

वो भी चुनंदा दुकानों पर उस स्कूलों की पुस्तके मिलती है। 2 से 3 वर्षों में ड्रेस बदल देते है । और चुनिंदा दुकानों पर ही स्कूलों की ड्रेस मिलती है । जिससे कि मोटी कमाई की जा सके । अभी एक वर्ष पूर्व की खिरकिया की ग्लोबल स्कूल का मामला जहां सिर्फ बच्चों को परीक्षा से इसलिए वंचित किया गया क्योंकि फीस जमा नहीं की । और सभी बच्चे परीक्षा दे रहे थे
परन्तु जिनकी फीस जमा नहीं थी । उन बच्चों को अलग दूसरे कमरे में बिठाया गया । आज प्रायवेट स्कूलों का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाना है । इसी शिक्षा सत्र में ssgb स्कूल का मामला भी आया था । जो अपनी ही दुकान से अपनी स्कूल की महंगी पुस्तक बेच रहे थे । इससे यह लगता है कि शिक्षा का मंदिर कम और व्यापार का केंद्र अधिक बनता जा रहा है । क्या यह सही है। मोटी कमाई को देख इस व्यवसाय में अब नेता भी उतर आए है । अब हर शहर में नेता , विधायकों और मंत्रियों के स्कूल खोल शिक्षा कम और धन अधिक कमा रहे है। अब स्कूलों में एक नया ट्रेड चल पड़ा है ।

अब स्कूल भवन समारोह परिसर बन गए है । अब आपको यदि शादी बर्थडे मनाना हो या भागवत कथा करानी हो तो स्कूल भवनों में करा सकते है । और छुट्टी के दिन तो क्या स्कूल टाइम में भी कोई यदि शादी बर्थडे भागवत कथा कराना चाहे तो करा सकता है । सिर्फ पैसे दीजिए और खूब लाउडस्पीकर चलाइए। एक और जहां विद्यार्थियों को तो शोर से समस्या होगी साथ ही कालोनी या गांव के लोगों को भी स्कूल के समारोह का भारी लाउडस्पीकर का शौर सुनना पड़ेगा ।

क्या यह उचित है। स्कूल परिसरों में
शादी समारोह हो, बर्थडे पार्टी हो या भागवत कथा का आयोजन हो सभी बैखौफ करवाए जा रहे हैं। जबकि स्कूल का निर्माण शिक्षा देने के लिए किया जाता है और नियमानुसार स्कूल परिसर में किसी भी प्रकार के समारोह स्कूल लगी हो तब कराना पूर्ण प्रतिबंधित है । लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए चंद रूपयो के लालच में शिक्षा के मंदिर को समारोह परिसर का रूप दिया जा रहा है।

ऐसे आयोजनों के चलते बच्चों की पढ़ाई एवं उनके भविष्य के बारे में स्कूल संचालक बेखबर दिखाई दे रहे हैं। इससे मैरिज गार्डन संचालकों को आर्थिक हानि हो रही है। क्योंकि उनकी परमिशन समारोह कराने की है । चूंकि स्कूल संचालक पैसों के चक्कर में स्कूल में समारोह आयोजित करा देते है । जिससे गार्डन संचालकों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। अब गार्डन संचालक दबी जुवान से यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि यदि स्कूल संचालक के पास स्कूल चलाने की अनुमति है। और वे समारोह करा रहे है । तो भी हमारे पास समारोह कराने की परमिशन है तो फिर हम भी मैरिज गार्डन में स्कूल लगा सकते हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
निजी स्कूल में किसी भी प्रकार का कोई समारोह नहीं हो सकता। जिला शिक्षा अधिकारी
हमारी स्कूल की बिल्डिंग किराए की है । भवन मालिक छुट्टी के दिन भवन में समारोह करवाता है ।
ध्रुव गौर sn पब्लिक स्कूल रहटगाव
हमारी स्कूल में तो पिछले वर्ष शादी हुई थी । और अभी जन्मदिन तो रात में मना। इस प्रकार के नियम की जानकारी नहीं है
जीवन गौर गौरव विद्या निकेतन